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सत रज तम को साफ़ समझिए || आचार्य प्रशांत, भगवद् गीता पर (2019)

2020-04-09 180 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br />पार से उपहार शिविर, 8.11.2019, अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा, उत्तर प्रदेश, भारत<br /><br />प्रसंग: <br />त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन।<br />निर्द्वन्द्वो नित्यसत्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान्‌।।<br />श्रीमद्‍भगवद्‍गीता (अध्याय 2 श्लोक ५)<br /><br />हे अर्जुन! वेद तीनों गुणों के कार्य रूप समस्त भोगों एवं उनके साधनों का प्रतिपादन करने वाले हैं, <br />इसलिए तुम उन भोगों एवं उनके साधनों में आसक्तिहीन, हर्ष-शोकादि द्वंद्वों से रहित, <br />नित्यवस्तु परमात्मा में स्थित योग क्षेम को न चाहने वाले और आत्म-परायण बनो॥<br /> <br />~ प्रकृति के तीन गुण कौनसे?<br />~ इन गुणों में सबसे सर्वश्रेष्ठ गुण कौनसा है?<br />~ श्री कृष्ण इन गुणों को त्याज्य क्यों बताते हैं?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते

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